उज्जैन:शिव की नगरी को शिव को संपत्तिकर का नोटिस

उज्जैन:धार्मिक नगरी उज्जैन में देवी देवताओं के अनगिनत मंदिर पौराणिक, आध्यात्मिक मान्यताओं के साथ पुरातन काल से निर्मित हैं। अनेक पौराणिक व पुरातन मंदिरों की देखरेख, पूजन पाठ और रख रखाव पुजारियों द्वारा पीढिय़ों से किया जाता है। हालांकि इन मंदिरों का कोई व्यावसायिक उपयोग नहीं होता बावजूद इसके नगर निगम द्वारा मंदिर में विराजित भगवानों के नाम से संपत्ति कर वसूली के नोटिस न सिर्फ जारी किये गये बल्कि उन्हें मंदिर में फेंककर तामिल भी कराये गये। ऐसा ही एक भगवान शंकर का मंदिर रामघाट पर स्थित है जहां नगर निगम ने भगवान शंकर को 6 हजार रुपये से अधिक संपत्ति कर भरने का नोटिस जारी किया है।

मंदिर को आज तक कभी ऐसा नोटिस नहीं मिला रामघाट स्थित कुंडेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी पं. संजय जोशी ने बताया कि दो दिनों पहले जब उन्होंने मंदिर का ताला खोला तो अंदर एक कागज पड़ा मिला। यह संपत्ति कर भरने का नोटिस था। इसमें लिखा था सिद्धसेन मार्ग गली नं. 1 शंकरजी का मंदिर संपत्तिकर 6249 जमा करें।

पं. जोशी ने बताया कि शहर के अन्य पौराणिक महत्व के मंदिरों के अनुसार ही यह मंदिर भी अनादिकाल से शिप्रा नदी के किनारे रामघाट पर स्थित है। आज तक इस प्रकार का नोटिस प्राप्त नहीं हुआ। जब संपत्ति कर का नोटिस मंदिर में पड़ा मिला तो आसपास तलाश की, जब पता चला कि क्षेत्र के कार्तिक चौक, गुदरी सहित अन्य मंदिरों में भी हनुमानजी सहित मंदिर में विराजित देवी देवताओं के नाम से संपत्ति कर जमा करने के नोटिस नगर निगम द्वारा जारी किये गये हैं। कुछ मंदिरों के पुजारियों से कर्मचारियों से हस्ताक्षर भी कराये हैं।

 

मंदिर परिसरों का व्यावसायिक उपयोग
पुरातन व पौराणिक महत्व के मंदिरों को छोड़कर जो नये मंदिरों का निर्माण हो रहा है उनके आसपास दुकानें अथवा धर्मशाला निर्मित होती हैं। सामाजिक संस्थाएं भी धर्मशाला निर्माण कराने के साथ उसमें मंदिर निर्मित कराती हैं और मंदिर की देखरेख दुकानों अथवा धर्मशाला से होने वाली आय से होती है।

 

पुजारियों में आक्रोश, करेंगे विरोध
जिन मंदिरों को संपत्ति कर वसूली के लिये भगवान के नाम से नोटिस जारी किये गये हैं उनके पुजारियों में आक्रोश व्याप्त है। पं. आनंद गुरू, पं. जोशी सहित अन्य पुजारियों ने बताया कि पुरातन मंदिरों की देखभाल और रख रखाव हमारे द्वारा किया जाता है। इन मंदिरों का व्यावसायिक उपयोग भी नहीं करते। सफाई से लेकर पूजन कार्य पीढिय़ों से कर रहे हैं, नगर निगम द्वारा सहयोग देने की बजाय उलटा वसूली का नोटिस जारी किया जा रहा है। आयुक्त से मिलकर इसका विरोध दर्ज कराएंगे।

 

मंदिरों से टैक्स वसूलने का नियम पूर्व से है- उपायुक्त
मंदिरों से टैक्स वसूलने का नियम पूर्व से है। संपत्तिकर को छोड़कर अन्य टैक्स जैसे समेकित कर और यूजर चार्जेस सभी प्रकार के मंदिरों से लिया जाएगा। मंदिर प्रबंधक आय-व्यय का ब्योरा नगर निगम को उपलब्ध कराएंगे तो छूट पर विचार किया जा सकता है। -सुनील शाह, उपायुक्त संपत्तिकर, नगर निगम

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